सत्य की ही जय अंत में होती है, न कि असत्य की यही सत्य उस देवयान नामक मार्ग पर छाया है जिसके माध्यम से ऋषिगण, जिनकी कामनाएं पूर्ण हो चुकी हों, सत्य के परम धाम परमात्मा तक पहुंचते हैं।
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